शनिवार, 11 अप्रैल 2020

हमारे अपने रिश्ते


हमारे अपने रिश्ते 

क्या जो रिश्ते खून के होते है…….. क्या बस वही अपने होते हैं कई बार ऐसा सुना है लोगों से उनके साथ मेरा खून का रिश्ता है तो क्या वही मेरा अपना है, क्या हमेशा  मेरे खून के रिश्ते ही मेरा साथ देंगे  जिनको भगवान ने मेरे भाग्य में खून के रिश्ते के रूप में भेज दिए है वही मेरा साथ देंगे, वही मेरे मेरे सुख और दुःख को समझेंगे !

तो फिर उन रिश्तों का क्या जो यहाँ पे हमसे  जुड़े हैं, जिन्हे हमने  अपना माना है , जो रिश्ते हमारी खुशियों  का ध्यान रखते हैं जो हमें  खुश रखते हैं, वो रिश्ते जो हर परिस्थिति में हमारे  साथ खड़े रहते हैं, हमें  सँभालते हैं भले ही खून के रिश्तों के जैसे पास हो लेकिन फिर भी हमेशा हमारे  साथ रहते हैं ! बिना कुछ चाहे  वो  हमारी  परवाह  करते  हैं हम उनकी  परवाह  करते  है  ! हम कितनी  बार  लोगों  के  कहे  सुने  या  बहकावे  में    जाते  हे  और  अपने लोगों  से  दूरियां  बनाने  लग  जाते  हैं  हमें अपनी  आपसी  समझ  को  बढ़ाना  होगा  अगर  कोई  बात  बुरी  लगती  हे  तो  बात  करनी  चाहिए  आपसी  मतभेदों  को  मिटाना  चाहिए कितनी  बार  ऐसा  होता  हे  की  हम  तकलीफ  में  होते  हैं  इससे  फर्क  सिर्फ  उसको  पड़ता  हे  जो  जिनके  लिए  आप  अहमियत  रखते  हो  बाकियों  को  कोई  फर्क  नहीं  पड़ता  ऐसा  नहीं  हे  की  जो  लोग  हमारा  अपने  स्वार्थ   के  लिए  उपयोग  करते  हैं  हमें  उनसे  लड़ाई  करनी  चाहिए  या  फिर  उनको  छोड़  देना  किये  बस  हमें  पता  होना  चाहिए  की  किस  रिश्ते  की  हमारे  जीवन  में  कितनी  हम्मीयत  हे  और  हमें  किसकी  बातों  पर ध्यान देना  चाहिए  और  किनकी  बातों  को  नज़रअंदाज़  करना  चाहिए हमें  अपनी  ज़िंदगी  में  सही  निर्णय  लेना  आना  चाहिए   और  छोटी - छोटी  बातों  के  लिए  तो  अपने  रिश्तों  को  नहीं  खोना चाहिए ! जिंदगी को ख़ुशी - ख़ुशी चलाने के लिए हमें ऐसे लोगों के साथ रहना चहिहै जो हमें अहमियत दें और हमें समझे भले ही वो खून के रिश्ते हों या ना हों !! 

हमारे अपने रिश्ते, our relationship, hamare rishte




ज़िंदगी में खून के रिश्तों को हिस्सेदारी के लिए आपस में लड़ते देखा है
कितनी बार छल कपट से दूसरे भाइयों का धन हरपते देखा है
क्यों लोग खून के रिश्तों को इतनी अहमियत देतें हैं ????
दोस्तों क्या अभी तक आपने
महाभारत की लड़ाई को नहीं देखा है !!






  आज हम बात करेंगे पीढ़ी के अंतर के बारे में। हम सबने इसे महसूस किया है—जब हमारे माता-पिता या दादा-दादी हमारी पसंद-नापसंद को समझ नहीं पाते, ...