शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

अल्फाज़ 4

 








जब प्यार ही नहीं था तो इकरार क्यों किया , 

हमसे मिलने की ख्वाइश नहीं थी तो हमारा इंतज़ार क्यों किया , 

अगर इतना ही विश्वास था अपनी मोहब्बत पे , 

तो अब इश्क़ से इंकार क्यों किया !!

  आज हम बात करेंगे पीढ़ी के अंतर के बारे में। हम सबने इसे महसूस किया है—जब हमारे माता-पिता या दादा-दादी हमारी पसंद-नापसंद को समझ नहीं पाते, ...