सोमवार, 8 जून 2020

खुद के लिए जीना सीखो


अरे मैं क्या करूँ ऐसा नहीं कर सकती  उसको नहीं अच्छा लगेगा , मन तो मेरा गायिका बनने है लेकिन माता - पिता चाहते है कि इंजीनियरिंग करूँ, साइंस नहीं मुझे कॉमर्स पढ़ना है  , मैं करना कुछ और चाहती थी  लेकिन परिवार के दवाब में ये करना पड़ गया लेकिन मेरी दिलचस्पी कुछ और करने की थी ........

उफ़.......  कबतक किसी दूसरे की ख़ुशी के लिए जियेंगे ..... जब हमारी ख़ुशी और मन  की शांति किसी दूसरी चीज़ में है क्यों किसी और के दवाब में आकर या फिर अपने भविष्य से डरकर दूसरों का कहा मान लेते है  और खुद को एक मौका भी नहीं देते ! जब छोटे थे और ड्राविंग करने का मन  करता था तो मम्मी कहतीं थी मैथ्स (Maths) पढ़ो ! दोस्त अगर डांसर (Dancer) है तो परिवार वाले बोलेंगे अरे छोड़ो उस दोस्त को नहीं तो तुम  अपनी पढ़ाई - लिखाई छोड़के उसके साथ बिगड़ जाओगे और नाचते फिरोगे  फिर दोस्त को भी छोड़ दिया ! उसके बाद 10वीं  के बाद  आर्ट्स लेना था तो फिर से परिवार का दवाब आर्ट्स लेके क्या करोगे भविष्य बर्बाद हो जाएगा साइंस (Science )लो किसी पड़ोसी के बेटे का उदहारण देके बताने लगेंगे भले ही उस लड़के को जाने या नहीं जाने फिर से जबरदस्ती साइंस दिला देते हैं भले ही आर्ट्स पढ़ना चाहे फिर से डर गए और साइंस ले लिया मन नहीं लगा पढ़ने में कहीं आर्ट्स की किताब देखी तो उसको पढ़ने का मन करने लगा फिर भी अपने अंदर के आवाज को नहीं सुना और जिंदगी चलने लगी फिर साइंटिस्ट बनना चाहा लेकिन घरवालों ने फिर कहा की नहीं डाक्टर बनो साइंटिस्ट बनके  पूरी जिंदगी रिसर्च ही करते रह जाओगे चलो कोई बात नहीं डाक्टर भी बन गए अब हम परिपक़्व हो गए जिंदगी का फैसला ले सकते हैं अपनी जिंदगी में हमें किसे अपना जीवनसाथी चुनना चाहिए इसका तो अधिकार होना ही चाहिए लेकिन घरवाले उसमें भी बहोत नापते और तोलते हैं घरवाले तो घरवाले बाकी दूसरे रिस्तेदार भी दवाब डालने लग जाते हैं कम -से -कम जिसको साथ रहना है उसको पूछो उसको क्या चाहिए उसकी किसमें ख़ुशी है पूरी जिंदगी हम खुद को किसी  दूसरे के चुने हुए जिंदगी में बिताने लगते हैं !फिर  दिन ऐसा आता है जब हम अपने उस डांसर दोस्त से मिलते है जो अपनी जिंदगी में बहुत खुश होता है वो खुद के जीवन से संतुष्ट होता है फिर हम अपनी जिंदगी से  उसके जिंदगी की तुलना करने लग जाते हैं  खुद पे अफ़सोस करते हैं कि काश खुद को एक मौका दे  दिया होता काश की घर वालों से जबरदस्ती करके आर्ट्स ले लिए होता तो आज में भी अपनी जिंदगी में खुश और संतुष्ट होता क्यों घरवालों के कहने से साइंस ली काश की जिंदगी के छोटे - छोटे फैसले भी कभी खुद लिए होते तो आज जो भी पैसे कमाता खुश होता! क्या फायदा ऐसी जिंदगी का जिसमें हम खुद ही खुश नहीं हैं कितना भी पैसा कमालें जब अंदर से  जिंदगी  में खुश नहीं हैं और दुनिया वालों के सामने ऊपर से सिर्फ खुश होने का दिखावा करके भी क्या कोई फायदा है !

इसलिए जिंदगी में वो करना चाहिए जिससे हम खुश रहे भूल जाओ कौन क्या सोचेगा कौन क्या बोलेगा, इसका तात्पर्य ये नहीं की किसी ने हमारी बात नहीं मानी तो उसको चोट दें लड़ाई करें ! हम अगर  अपने भीतर से खुश हैं , वो शांति  है तभी बहार के लोगों के साथ खुश रहेंगे और सबसे ज्यादा इससे संतुष्ट रहेंगे की हमनें  जिंदगी में   जो चाहा उसको किया ! कम पैसे कमाकर  और छोटे घर में रहकर अगर अपने जीवन से  संतुष्ट हैं तो वो मज़ा  कितने भी बड़े घर में रहकर  कितना भी कमा कर  वो ख़ुशी नहीं मिलती आपके अपने अंदर की  ख़ुशी और शांति सबसे बड़ी जीत है बाकी तो फिर जिंदगी ही बोझ है इसलिए खुद के लिए जियो !!











29 टिप्‍पणियां:

  1. It's true Neha, but we need to convince other, (specially our parents)to support and honour our decesion. I think you will get more satisfaction

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  2. Your words are perfectly said by your heart, it's not copy of any content. M I right or M I right?😊

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  3. Very true. People should learn to recognise and appreciate interest of their children.

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  4. Life is to be lived as per our natural instinct & not as per expectations of others...try to maintain balance between our own expectations in life viz a viz our near & dear ones

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  5. एक साँस सबके हिस्से से हर पल घट जाती है,
    कोई जी लेता है जिंदगी, किसी की कट जाती है।

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  6. जीना तो है उसी का जिसने यह राज जाना
    है काम आदमी का औरों के काम आना

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  7. Happiness is a virtue......It has to come from within.....Well written piece....keep it up

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