क्यों हम या कोई और किसी भी बात पर टिप्पणी देने लगते हैं , बातों और चीज़ों को बिना सोचे समझे दूसरे पर चिल्लाने लगते हैं उनसे लड़ने लगते हैं एक पल के लिए ये भी नहीं सोचते की मुद्दा क्या है क्या बात इतनी बड़ी है की इस स्तर तक लड़ाई हो या नहीं ! कितनी बार तो ऐसा होता है की बात बहुत छोटी होती है और उस पर हम लड़ने लग जाते हैं भले ही सामने वाली की उसमें कोई गलती ना हो उसने वो गलती जानबूझ के न की हो बल्कि उससे हो गई हो तो उसमें चिल्लाने की या उस व्यक्ति से लड़ने की कोई बात नहीं है कितनी बार तो आपस में लड़ाई हो जाती है ! हर व्यक्ति के साथ ऐसा उसके जीवन में हुआ होगा की किसी दूसरे पर चिल्लाने, मारपीट करने के बाद ये मन में विचार आया हो की अरे इसमें इतना बोलने की जरुरत नहीं थी या हाथ उठाने की भी आवश्यकता नहीं थी गलती हो गई थी उससे उसने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया था फिर पछताने से कुछ नहीं होता जो कुछ होना होता है वो हम गुस्से में करदेते हैं और फिर बाद में पछताते हैं !
हमें उस घटना को समझना होना उसको जानना होगा की वो किसी के द्वारा गलती से हो गया है या फिर उसने जानबूझ के उसको किया है उसी के अनुसार हमें अपना बर्ताव रखना चाहिए ये नहीं की कुछ भी हुआ तो सीधा लड़ने लग जाएं मारपीट पे उतर जाएँ ! मान लीजिये की हम अगर किसी होटल या भोजनालय में हैं और परोसते समय वहाँ के किसी कर्मचारी के द्वारा हमारे ऊपर कुछ गिर जाता है तो क्या हमें उसे मारना चाहिए उसपे चिल्लाना चाहिए और उसपर आरोप लगाना चाहिए की नहीं तूने मेरे कपडे गंदे कर दिये...... बिल्कुल नहीं हमें हल्की सी मुस्कान के साथ उसको कहना चाहिए की कोई बात नहीं हो जाता है ऐसा कभी - कभी, क्योंकि वो कर्मचारी तो खुद ही डरा होगा की उससे ये गलती हो गई है और उसके साथ ऐसा व्यवहार करके हम उसको भी बहुत ख़ुशी देंगे और हम भी आन्दित रहेंगे ! लेकिन यहीं अगर कोई पति अपनी पत्नी को हमेशा नीचा दिखता है लोगों के सामने उसको बेइज्जत करता है तो ये वो जानबूझ के कर रहा है इसमें उसको कहना पड़ेगा उसको बताना पड़ेगा की ये गलत हैं और भले ही पत्नी को उसको डांटना पड़े या चिल्लाना आये या फिर वो अपने पति से बात न करे उसको समझाना पड़ेगा की उसके पति ने जी कुछ किया वो सतप्रतिशत गलत है लेकिन इसका मतलब ये नहीं की पत्नी भी लोगों के सामने चिल्लाए और अपने पति पर डांटने लगे या उसके साथ मारपीट करने लगे !!
तो कुछ भी निर्णय लेने से पहले हमें ये समझना पड़ेगा की गलती जानबूझ के दूसरे के द्वारा की गई है या गलती से हो गई है, तभी कोई गतिविधि करनी चाहिए !!
i have looked at couple of your posts, and these are very contemporary and relevant. i can relate to these, as i have been through these phases, of giving self importance etc...
जवाब देंहटाएंi do think you can make it attractive to your readers by
- breaking your article into points- makes it easy for them to absorb
- give a small story/ anecdote, example to help them relate
i remember a story about controlling anger. and it was very much like my life, and the message stayed with me.
blessings and keep writing
Thank you.....
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