सोमवार, 28 सितंबर 2020

अल्फाज़ 3

 











हमें लगा की आप हमें 

जानते, पहचानते, समझते हो 

लेकिन महसूस किया तो अफ़सोस रहेगा 

हमीं आपको नहीं समझ पाए !!

शायद हम भी अब वफा ना कर पाए किसी से ,

आप जो इस तरह हमें ठुकरा गए !! 

अल्फाज़ 2












ए काश की तुने मुझे गुस्सा ही दिलाया होता, 

चिल्ला के, रोके, नाराज़ होके  उतर ही जाता ! 

लेकिन तुने तो मुझे ही अंदर से तोड़ दिया,

क्योंकि तूने अपना रास्ता कहीं ओर मोड़ लिया ,

ए मेरे खुदा अब तू ही बता की खुद को कैसे समझाऊँ,

 की उसका  खुमार ही मेरे दिल से उतर  जाता !! 


शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

अल्फाज़ 1




किसी के माथे पे लगे कलंक पर

 इतना भी मत हँसिये ज़नाब !

 कभी - कभी वो खुद के कारन नहीं 

हालातों के वजह से भी लग जाते हैं !!


कम्बख्त चाहता खुद कौन है , 

बेज्जत होना ,

 कितनी बार तो खुद को ही खुद की 

नजर लग जाती है !!




  आज हम बात करेंगे पीढ़ी के अंतर के बारे में। हम सबने इसे महसूस किया है—जब हमारे माता-पिता या दादा-दादी हमारी पसंद-नापसंद को समझ नहीं पाते, ...