ए काश की तुने मुझे गुस्सा ही दिलाया होता,
चिल्ला के, रोके, नाराज़ होके उतर ही जाता !
लेकिन तुने तो मुझे ही अंदर से तोड़ दिया,
क्योंकि तूने अपना रास्ता कहीं ओर मोड़ लिया ,
ए मेरे खुदा अब तू ही बता की खुद को कैसे समझाऊँ,
की उसका खुमार ही मेरे दिल से उतर जाता !!
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