किसी के माथे पे लगे कलंक पर
इतना भी मत हँसिये ज़नाब !
कभी - कभी वो खुद के कारन नहीं
हालातों के वजह से भी लग जाते हैं !!
कम्बख्त चाहता खुद कौन है ,
बेज्जत होना ,
कितनी बार तो खुद को ही खुद की
नजर लग जाती है !!
I want to share my thought and experience and need viewers opinion also . In this blog I write about health, relationship, motivational thought, some short poems and stories.
आज हम बात करेंगे पीढ़ी के अंतर के बारे में। हम सबने इसे महसूस किया है—जब हमारे माता-पिता या दादा-दादी हमारी पसंद-नापसंद को समझ नहीं पाते, ...
reminds me of
जवाब देंहटाएंkoi to wajah rahi hogi
yun hin koi bewafa nahin hota.
keep writing, keep exploring
Thank you for comment...
जवाब देंहटाएं