शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

अल्फाज़ 1




किसी के माथे पे लगे कलंक पर

 इतना भी मत हँसिये ज़नाब !

 कभी - कभी वो खुद के कारन नहीं 

हालातों के वजह से भी लग जाते हैं !!


कम्बख्त चाहता खुद कौन है , 

बेज्जत होना ,

 कितनी बार तो खुद को ही खुद की 

नजर लग जाती है !!




2 टिप्‍पणियां:

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