शनिवार, 26 दिसंबर 2020

confidence को कैसे बढ़ाएं, आत्मविश्वास को कैसे बढ़ाएं

आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं


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जिस व्यक्ति के अंदर खुद को लेकर आत्मविश्वास नहीं होता यानि को खुद पर भरोसा नहीं  होता वो अपने जीवन काल में ज्यादा कुछ भी हासिल नहीं कर पाता ! अगर आपमें काबिलियत है, लेकिन खुद पर विश्वास नहीं है की अमुक कार्य को आप कर पाएंगे तो वह काम आपसे कभी नहीं हो पाएगा ! जिंदगी में किसी भी इंसान का सफल होने के लिए उसका खुद पर निष्ठा, विश्वास , भरोसा होना अति आवशयक है तभी वो सफल हो सकता है ! तो निचे  जानते हैं की 

आत्मविश्वास को कैसे बढ़ाएं 


1 ) खुद को कभी भी किसी से कम मत समझें जाहिर सी बात है किसी भी काम को नए - नए में करने से गलतियां तो होगी  ही इसका मतलब ये नहीं हे की आप उस काम को नहीं नहीं कर सकते हैं , और भी ज्यादा उस काम को मन लगा के कीजिये धीरे - धीरे वो खुद आपके लिए आसान हो जाएगा !

2 ) किसी भी पैसे वाले या ओहदे वाले से डरना छोड़ दीजिये खुल के अपनी बात सामने बोलिये उनके !

3 ) किसी दूसरे को किसी काम के लिए ना भी बोलना सीखिये ऐसा नहीं होना चाहिए की कोई काम आपको अपना काम बता कर चला गया और आप अपना काम छोड़के उनका काम कर रहे है कितनी बार ऐसा होता है की low confidence के कारन हम नहीं बोल पाते !

4 )  अच्छी किताबें पढ़े, महान लोगों की जीवनी पढ़े जिन्होंने अपने आत्मविश्वास के बल पर खुद को सफल बनाया है !

5 ) किसी के दवाब में आकर अपनी पसंद ना बदलें वही करें जो आपका मन करे लेकिन किसी को हानि न पहुंचाए !

6 ) किसी को कुछ भी बोलते समय स्पष्ट बोलें ऐसा सामने वाले को नहीं लगना चाहिए की आप उसके सामने लड़खड़ा रहें हैं या कुछ कहने में झिझक रहे हैं !

7  )  अगर आपमें आत्मविश्वास की ज्यादा कमी है तो शीशे के सामने खुद को देखके खुश हों और ये बोले की आप एक सम्पूर्ण व्यक्ति हैं जो आत्मविश्वास से भरा है और जिस भी काम को ठान लेगा उसको तो कर डालेगा दिन में 5 - 7  बार ऐसा करें खुद महसूस होगा की आपमें कितना आत्मविश्वास आ गया है !

8 ) खुश रहने वाले और सकारात्मक लोगों के साथ अपना समय बिताएं !

9 ) अपने परिवार को समय दें उनके साथ उनका और अपना सुख दुःख बाँटिये कितनी बार ऐसा होता है की परिवार में बात करते - करते भी हमें पता चलता है की किस बात को कैसे कहना है और वो सबसे अच्छा रहेगा !

10 ) सामाजिक और पारिवारिक कार्यों में अपनी सहभागिता हमेशा दें !

11 ) सबसे महत्त्व ये ये की आप अगर अंदर से आत्मविश्वास तभी हो पाएंगे जब आप मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ  होंगे तो शरीर और मन दोनों मजबूत बनाए रखने वाले काम कीजिये जैसे ध्यानयोगाव्यायाम  !



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शनिवार, 19 दिसंबर 2020

Khush kaise rahe ! खुश कैसे रहे

 Khush kaise rahe 

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 हम सभी अपनी जिंदगी जीते हैं, अपने सारे काम करते हैं सारी जिम्मेदारियां निभाते हैं, लेकिन सबसे महत्तवपूर्ण यह है की हम खुश कितने हैं, जिम्मेदारियों और अपने काम को खुश होकर कर रहे हैं या सिर्फ अपनी जिंदगी जीने के लिए !


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Khush kaise rahe ! खुश कैसे रहे 








 

जिंदगी में खुश कैसे रह सकते हैं :- 

1) सबसे पहले सुबह उठके मॉर्निग वॉक पे जाना चाहिए, व्यायाम ,ध्यान करना चाहिए इससे तनाव कम होगा जिससे ख़ुशी वैसे ही बढ़ेगी और शरीर भी स्वस्थ रहेगा !
   
2) जैसे हैं वैसे ही रहे लोगों के कहने से या किसी भी कारन खुद को बदले की कोशिश मत करें तभी खुश रह पाएंगे, पूरी जिंदगी बस लोगों की तरह ही बनेंगे तो खुद को क्या पहचान दें पाएंगे !

3) छोटी - छोटी बातों में खुश रहें , अपने आप ख़ुशी बढ़ती जाएगी क्योंकि छोटी बातों में ख़ुशी ढूंढ़ने वालों को तो एक दिन में कितनी ही बातें ऐसी होती है जिनसे हमारे चेहरे पे मुस्कान आ जाती  है और बडी  बातें तो पूरी जिंदगी में सिर्फ 10 -15 बार ही आती है !

4) हर इंसान की जिंदगी में परेशानियाँ होती है, इसलिए हर बात में ज्यादा सोचना बंद कर दें !

5) खुश रहने के लिए बहुत जरुरी है की अपने आसपास की हर बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए ! क्योंकि हम हर किसी की सोच में अच्छे नहीं हो सकते !

6) बदला और ईर्ष्या की भावना को मन से निकल देना चाहिए, अगर किसी ने आपको तकलीफ दी है तो उसे मन से निकाल दीजिये....... क्यूंकि जब भी आप उस व्यक्ति से मिलेंगे तो आपको पुरानी  बातें याद आ जाएंगी , खुश होने के बजाय दुखी हो जाएंगे !

7) हर बात में गुस्सा करना छोड़ दीजिये !

8) खुद को प्यार करना खुद को अहमियत देना कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए  !

9) कम दोस्त रखने चाहिए लेकिन जो भी दोस्त बनाए वो वास्तव में दोस्त हों जिसके साथ हम अपनी बातें कह - सुन सके ! ऐसे दोस्त नहीं होने चाहिए जो हमसे ज्यादा हमारे ओहदे या पैसों से लगाव रखे ! दोस्त ऐसे हों जिनसे मिलके ख़ुशी हो !

10) मोबाइलइंटरनेट और टी.वी. की जगह अपने परिवार के साथ समय बिताएं, खुद में अच्छा महसूस होगा, जितना संभव हो खाना सब परिवार के सदस्य साथ बैठके खाएं !

11) अपनी ऐसी रूचि जरूर बनाएं जिनको करने से ख़ुशी मिलती हो, चाहे वो music, dancing, cooking, traveling जैसी कुछ भी हो सकती है !

12) खुश रहने वाले लोगों के साथ अपना टाइम बिताना शुरू कीजिये !







  

शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

अल्फाज़ 4

 








जब प्यार ही नहीं था तो इकरार क्यों किया , 

हमसे मिलने की ख्वाइश नहीं थी तो हमारा इंतज़ार क्यों किया , 

अगर इतना ही विश्वास था अपनी मोहब्बत पे , 

तो अब इश्क़ से इंकार क्यों किया !!

सोमवार, 28 सितंबर 2020

अल्फाज़ 3

 











हमें लगा की आप हमें 

जानते, पहचानते, समझते हो 

लेकिन महसूस किया तो अफ़सोस रहेगा 

हमीं आपको नहीं समझ पाए !!

शायद हम भी अब वफा ना कर पाए किसी से ,

आप जो इस तरह हमें ठुकरा गए !! 

अल्फाज़ 2












ए काश की तुने मुझे गुस्सा ही दिलाया होता, 

चिल्ला के, रोके, नाराज़ होके  उतर ही जाता ! 

लेकिन तुने तो मुझे ही अंदर से तोड़ दिया,

क्योंकि तूने अपना रास्ता कहीं ओर मोड़ लिया ,

ए मेरे खुदा अब तू ही बता की खुद को कैसे समझाऊँ,

 की उसका  खुमार ही मेरे दिल से उतर  जाता !! 


शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

अल्फाज़ 1




किसी के माथे पे लगे कलंक पर

 इतना भी मत हँसिये ज़नाब !

 कभी - कभी वो खुद के कारन नहीं 

हालातों के वजह से भी लग जाते हैं !!


कम्बख्त चाहता खुद कौन है , 

बेज्जत होना ,

 कितनी बार तो खुद को ही खुद की 

नजर लग जाती है !!




रविवार, 23 अगस्त 2020

जो ठान लो वो पा लो













अकसर जब भी हमें कुछ नया करना होता है इसके लिए पहले हम अपनी योजना बनाते हैं और फिर हम अपने योजना के  अनुसार उस काम को पूरा करने की कोशिश करते हैं हम उसमें असफल रहते हैं फिर हम दुबारा उसी काम को करते हैं फिर असफल हो जाते हैं इसी तरह करते - करते हमें समझ आ जाता है की आखिर हमसे कहाँ गलतियां हो रही है जिसे अनुभव कहते हैं,  फिर उन गलतियों को ध्यान में रखते हुए उसी काम को करते हैं अबकी वो काम हमारा पूरा ठीक ना हो पाया लेकिन पहले की अपेक्षा बेहतर होता जाता है हम उस काम को करते रहते हैं और वो काम हमारा पहले की अपेक्षा और बेहतर होता जाता है और उसी काम को हम तब तक करते हैं  जब तक वो काम ठीक से पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता और जब तक हमें उसमे सफलता नहीं मिल जाती फिर वही काम हमारे लिए बड़ा ही सरल और आसान बन जाता है। ..... और हम उस काम में सफल बन जाते हैं अब उस काम में हमसे गलती कम होती है उस काम को हम अपने  अभ्यास के द्वारा इतना सरल बना देते है कि हमें खुद को विश्वास दिलाना पड़ता है की ये वही काम है जिसको करने में इतनी मुश्किलों और असफलताओं का सामना करना पड़ा था !

लेकिन इसके लिए हमें खुद पे काम करना होगा खुद सीखना होगा अपनी सीखनी की आदत को बढ़ाना होगा अगर किसी काम को करने के लिए हमें दिक्क्तें आ रही है तो  स्किल को बढ़ाना होगा और मन में ढृढ़ निश्चय करना होगा की इस काम को पूरा करना है,  ये नहीं की असफलताओं और मेहनत के डर से उस काम को छोड़ दें सफलता पाने के लिए पहले असफल होना पड़ेगा ये नहीं की उस काम को बीच में ही छोड़ दें, हमें सफलता तभी मिलेगी जब हम उस काम में असफल होंगे गलती करेंगे और अपनी उन गलतियों से सीखेंगे अनुभव लेंगे तभी मिलेगी सफलता, जो ठान लो वो कर लो चाहे कितनी भी दिकत्तों का सामना करना पड़े और  उस काम को करते  रहो करते रहो जब तक उसमें सफलता न मिले  !!  

मंगलवार, 14 जुलाई 2020

आपसी टकरार को कहें बाय - बाय














आपसी रिश्तों की साझेदारी, समझदारी, परवाह ही रिश्तों में मिठास और प्यार को बढ़ाते हैं, फिर भी हम कितनी बार अपने उन्ही रिश्तों को ठेस पहुंचते हैं वो भी छोटी - छोटी बातों में जिनको हम हँस के मुस्कुराके टाल सकते हैं ! हम उन बातों को फालतू में खींचते रहते हैं उनको बढ़ाते रहते हैं जिनकी कोई आवश्यकता नहीं होती ! कितनी बार तो इस बात पे  बहस  होती है की दाल में टमाटर क्यों डाला तो धनिया पत्ता क्यों नहीं डाला और तो और ये बातें इतनी आगे बढ़ जाती है की रिश्तों में दरारें आने लगती है ! सबसे ज्यादा तो रिश्ते तब ख़राब होते हैं जब कोई दूसरा उसमें अपनी बात बोलने लगता है या फिर दखल देने लगते हैं !
हमें अपने जीवन में किसका महत्त्व ज्यादा है उसको देखना पड़ेगा किसी तीसरे के कारन हमें अपने रिश्तों को नहीं खोना चाहिए और नाहीं किसी बुरी बातों को महत्त्व देना चाहिए जो हो गया सो हो गया उसने बोला मैनें बोला ठीक है अब आगे से नहीं बोलेंगे अपने रिश्तों को महत्त्व देंगे किसी तीसरे को आने ही नहीं देना चाहिए अगर सामने वाला सही है उसने बस छोटी से गलती की है उसका बखेड़ा बनाके क्यों खुद एक- दूसरे को तकलीफ देना किसी तीसरे के कारण लड़ाई हुई है वो तो चाहता ही यही था !
सबसे पहले तो ये सोचना होगा की रिश्तों के लिए वास्तव में जरुरी क्या है उसको ऐसी क्या चीज़ है जिसके कारन हम आपस में क्यों जुड़े हैं  ऐसी क्या - क्या चीजें हैं जो हम एक - दूसरे के साथ पूरी जिंदगी निभा सकते हैं ! बाक़ी तो छोटी - छोटी बातें हैं, या जो भी आदतें हैं वो बदली जा सकती है लेकिन उन छोटी - छोटी बातों के लिए हम वास्तव में हमारे रिश्ते के लिए क्या जरुरी है उसको भूल जाते हैं और फालतू में लड़ाई करने लग जाते हैं जो की नहीं करने चाहिए, बस सारा का सारा झगड़ा ही ख़तम !

अपने रिश्तों को महत्त्व देना चाहिए जो हमारी जिंदगी में अहमियत रखते हैं ना की उस चीज़ को जिसके कारण रिश्ता टूटने की नौबत आए ! समझौता नहीं जिंदगी को अच्छे से जियो......क्यूंकि सही ही कहा गया है जिंदगी ना मिलेगी दोबारा अब इसको कैसे जीना है ये निर्णय हमारे ही ऊपर  है ! 










रविवार, 12 जुलाई 2020

हर बात पर गुस्सा ना हों













क्यों हम या कोई और किसी भी बात पर टिप्पणी देने लगते हैं , बातों और चीज़ों को बिना सोचे समझे दूसरे पर चिल्लाने लगते हैं उनसे लड़ने लगते हैं एक पल के लिए ये भी नहीं सोचते की मुद्दा क्या है क्या बात इतनी बड़ी है की इस स्तर तक लड़ाई हो या नहीं ! कितनी बार तो ऐसा होता है की बात बहुत छोटी होती है और उस पर हम लड़ने लग जाते हैं भले ही सामने वाली की उसमें कोई गलती ना हो उसने वो गलती जानबूझ के न की हो बल्कि उससे हो गई हो तो उसमें चिल्लाने की या उस व्यक्ति से लड़ने की कोई बात नहीं है कितनी बार तो आपस में लड़ाई हो जाती है ! हर व्यक्ति के साथ ऐसा उसके जीवन में हुआ होगा की किसी दूसरे पर चिल्लाने, मारपीट करने के बाद ये मन में विचार आया हो की अरे इसमें इतना बोलने की जरुरत नहीं थी या हाथ उठाने की भी आवश्यकता नहीं थी  गलती हो गई थी उससे उसने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया था फिर पछताने से कुछ नहीं होता जो कुछ होना होता है वो हम गुस्से में करदेते हैं और फिर बाद में पछताते हैं !

हमें उस घटना को समझना होना उसको जानना होगा की वो किसी के द्वारा गलती से हो गया है या फिर उसने जानबूझ के उसको किया है उसी के अनुसार हमें अपना बर्ताव रखना चाहिए ये नहीं की कुछ भी हुआ तो सीधा लड़ने लग जाएं मारपीट पे उतर जाएँ ! मान लीजिये की हम अगर किसी होटल या भोजनालय में हैं और परोसते समय वहाँ के किसी कर्मचारी के द्वारा हमारे ऊपर कुछ गिर जाता है तो क्या हमें उसे मारना चाहिए उसपे चिल्लाना चाहिए और उसपर आरोप लगाना चाहिए की नहीं तूने मेरे कपडे गंदे कर दिये...... बिल्कुल नहीं हमें हल्की सी मुस्कान के साथ उसको कहना चाहिए की कोई बात नहीं हो जाता है ऐसा कभी - कभी, क्योंकि वो कर्मचारी तो खुद ही डरा होगा की उससे ये गलती हो गई है और उसके साथ ऐसा व्यवहार करके हम उसको भी बहुत ख़ुशी देंगे और हम भी आन्दित रहेंगे ! लेकिन यहीं अगर कोई पति अपनी पत्नी को हमेशा नीचा दिखता है लोगों के सामने उसको बेइज्जत करता है तो ये वो जानबूझ के कर रहा है इसमें उसको कहना पड़ेगा उसको बताना  पड़ेगा की ये गलत  हैं और भले ही पत्नी को उसको डांटना पड़े या चिल्लाना आये या फिर वो अपने पति से बात न करे उसको समझाना पड़ेगा की उसके पति ने जी कुछ किया वो सतप्रतिशत गलत है लेकिन इसका मतलब ये नहीं की पत्नी भी लोगों के सामने चिल्लाए और अपने पति पर डांटने लगे या उसके साथ मारपीट करने लगे  !!

तो कुछ भी निर्णय लेने से पहले हमें ये समझना पड़ेगा की गलती जानबूझ के दूसरे के द्वारा की गई है या गलती से हो गई है, तभी कोई गतिविधि करनी चाहिए !!












सोमवार, 29 जून 2020

ऐसे लोगों से तो दूर हो ही जाएं













सच ही कहा गया है कि संगति से गुण आते है और संगति से ही गुण जाते है ! हमारे साथ कौन - कौन लोग रह रहें  हैं इसका  जिंदगी पर बहुत प्रभाव पड़ता है कि हमारी संगति कैसी है क्यूंकि हमारे आस - पास कैसे लोग हैं  किनके साथ हमारा उठना - बैठना है इसका हमारी जिंदगी पर सीधा असर करता है ! तो बहुत ही महत्व रखता है किसी का व्यवहार ,  उसके बोलने का तरीका, उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व हमारे व्यक्तित्व को बनता है!!

चोरी करना, या जो किसी को क्षति पहुंचाता है, जो कानून द्वारा दंडनीय अपराध करता है या जिनका चरित्र ख़राब होता है ऐसे लोगों के साथ तो रहना बिलकुल ही नहीं चाहिए परन्तु कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनकी संगति हमारे लिए सही नहीं है तो जानते हैं की ऐसे कौन -कौन लोग  हैं जिनका साथ हमें नहीं  देना चाहिए  और ना ही ऐसे लोगों के साथ रहना चाहिए  :-

झूठे लोगों के साथ कभी नहीं  रहना चाहिए और ना ही उनका कभी साथ देना चाहिए जो झूठे होते हैं वो अपने फायदे के लिए या अपने बचाव में कभी भी कहीं पर भी झूट बोल सकते हैं फिर वो आदत हमें भी लग जाती है और वो किसी के भी सामने हमें ही झूठा बना सकते हैं  तो ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए !

जो लोग हमारी बहुत तारीफ करते हैं जो एक तरीके से देखा जाए तो चापलूस की तरह करे उनसे तो बिलकुल ही दूर रहना चाहिए क्यूंकि वो तो सच बोलेंगे नहीं हम कुछ भी करें चाहे हम गलत ही बात क्यों ना करें तो ऐसे लोगों से तो दुरी बना ही लेनी चाहिए ऐसे लोगों को कोई भी पसंद नहीं करता और धीरे - धीरे हम भी उनकी तरह बात करने लग जाते हैं !

लालची लोगों से हमेशा दुरी बनाए रखना चाहिए ये तो किसी के भी नहीं होते हैं बस अपना उल्लू सीधा करने आता है इनको कब आपको नुकसान करेंगे कोई नहीं बता सकता कब आपको छोड़ के किसी दूसरे लोगों में मिल जाएं ऐसे लोग बहुत  खतरनाक होते हैं कभी किसी के नहीं होते !

जो पीठ पीछे किसी दूसरे की बुराई आपसे करेंगे वो किसी दूसरे के सामने आपकी भी बुराई करने से नहीं चूकते ऐसे लोगों से कभी भी अपनी बातें नहीं बतानी चाहिए और नहीं इनके साथ रहना चाहिए !

बहुत बार सुना होगा की लोग कहते हैं की कमाने से क्या होगा सब तो यहीं छोड़के जाना है ऐसे लोगों को तो अपने साथ कभी आने ही नहीं देना  चाहिए खुद तो काम करते नहीं हैं बस बकवास करते रहते हैं और दूसरों को भी नहीं करने देते हमेशा  फालतू बातों में या फालतू चीज़ों में खुद को उलझाए रखते   हैं और दूसरों का भी समय बर्बाद करते हैं फिर इसकी संगती में हम भी इनकी तरह होने लगते  हैं !


गुरुवार, 11 जून 2020

खुद को Challenge देना सीखें

                                                                                                                                                       











कितनी बार हम खुद को कहते हैं कल से ये काम शुरू करेंगे , कल आ  जाता है याद रहता है हमें की हमने खुद से क्या कहा था लेकिन हम खुदको  फिर मना लेते हैं कि कोई बात नहीं परसों कर लेंगे और फिर वो कल परसो कभी आता ही नहीं है क्योंकि हम  उनको अनदेखा कर देते हैं हमारी छोटी छोटी आदतों को भी हम नहीं  बदल पाते क्यूंकि हम आलस कर जाते हैं और धीरे - धीरे यही हमारी आदत बन जाता है !

ज्यादातर लोग कहते हैं की यार कल से Exercise शुरू करेंगे, कल से जल्दी उठेंगे, कल वहां जाएंगे, कल बैंक का काम ख़तम कर लेंगे, कल लिख लेंगे , ये chapter कल से पढ़ेंगे, वगैहरा  लेकिन कल कभी नहीं आता कोई बात नहीं फिर हम खुद ही खुद को समझा देते हैं अरे ये तो नहीं हो पाया गर्मी ज्यादा थी, नींद नहीं खुली , रात देर सोया था, मन नहीं कर रहा था कोई बात नहीं अगले दिन कर लेंगे लेकिन वो अगला दिन कभी आता ही नहीं है ! लगता है की यार अब तो करना ही पडेगा तभी करते हैं !

किसी भी चीज़ को बदलने के लिए हमें खुद को बदलना होगा शुरआत कभी भी बड़े चीजों से नहीं बल्कि छोटे - छोटे कामों को पूरा करने में है ! खुद को Challenge देना सीखें और खुद से किया हुआ वादा हमेशा पूरा  करें उसको अपनी आदत बनाएँ छोटे - छोटे कामों को करने की आदत ही एक बड़ी उपलब्धि होती है और आप अपने जीवन में हर चीज़ को मुमकिन कर सकते हैं शुरुआती  दिक्ततें और परेशानी आएगी लेकिन धीरे - धीरे वो आपकी आदत बन जाएगी और फिर उसी काम को करनेमें आपको मन लगेगा ! 

सबसे पहले छोटा उद्देश्य बनाएं उसको पूरा करें फिर  आदत बनेगी  उसके बाद आपको खुदको चुनौती देने में मज़ा आने लगेगा और आप अपने जीवन में महत्त्वपूर्ण चीज़ों को हासिल कर पाएंगे बड़े - बड़े कामों को  आसानी से कर लेंगे  खुद से किया हुआ वादा  पूरा करें और वैसे भी जो खुद की छोटी - छोटी चुनौतियों को पूरा न कर पाएगा वो कभी भी अपने जिंदगी में बड़े उदेश्यों को पूरा कर पाएगा क्या ? इसलिए सबसे बड़ी बात है की आप अपने जीवन में अपने वादों को पूरा करें तभी दूसरों के साथ किया वायदा आप पूरा कर सकते हैं !!

सोमवार, 8 जून 2020

खुद के लिए जीना सीखो


अरे मैं क्या करूँ ऐसा नहीं कर सकती  उसको नहीं अच्छा लगेगा , मन तो मेरा गायिका बनने है लेकिन माता - पिता चाहते है कि इंजीनियरिंग करूँ, साइंस नहीं मुझे कॉमर्स पढ़ना है  , मैं करना कुछ और चाहती थी  लेकिन परिवार के दवाब में ये करना पड़ गया लेकिन मेरी दिलचस्पी कुछ और करने की थी ........

उफ़.......  कबतक किसी दूसरे की ख़ुशी के लिए जियेंगे ..... जब हमारी ख़ुशी और मन  की शांति किसी दूसरी चीज़ में है क्यों किसी और के दवाब में आकर या फिर अपने भविष्य से डरकर दूसरों का कहा मान लेते है  और खुद को एक मौका भी नहीं देते ! जब छोटे थे और ड्राविंग करने का मन  करता था तो मम्मी कहतीं थी मैथ्स (Maths) पढ़ो ! दोस्त अगर डांसर (Dancer) है तो परिवार वाले बोलेंगे अरे छोड़ो उस दोस्त को नहीं तो तुम  अपनी पढ़ाई - लिखाई छोड़के उसके साथ बिगड़ जाओगे और नाचते फिरोगे  फिर दोस्त को भी छोड़ दिया ! उसके बाद 10वीं  के बाद  आर्ट्स लेना था तो फिर से परिवार का दवाब आर्ट्स लेके क्या करोगे भविष्य बर्बाद हो जाएगा साइंस (Science )लो किसी पड़ोसी के बेटे का उदहारण देके बताने लगेंगे भले ही उस लड़के को जाने या नहीं जाने फिर से जबरदस्ती साइंस दिला देते हैं भले ही आर्ट्स पढ़ना चाहे फिर से डर गए और साइंस ले लिया मन नहीं लगा पढ़ने में कहीं आर्ट्स की किताब देखी तो उसको पढ़ने का मन करने लगा फिर भी अपने अंदर के आवाज को नहीं सुना और जिंदगी चलने लगी फिर साइंटिस्ट बनना चाहा लेकिन घरवालों ने फिर कहा की नहीं डाक्टर बनो साइंटिस्ट बनके  पूरी जिंदगी रिसर्च ही करते रह जाओगे चलो कोई बात नहीं डाक्टर भी बन गए अब हम परिपक़्व हो गए जिंदगी का फैसला ले सकते हैं अपनी जिंदगी में हमें किसे अपना जीवनसाथी चुनना चाहिए इसका तो अधिकार होना ही चाहिए लेकिन घरवाले उसमें भी बहोत नापते और तोलते हैं घरवाले तो घरवाले बाकी दूसरे रिस्तेदार भी दवाब डालने लग जाते हैं कम -से -कम जिसको साथ रहना है उसको पूछो उसको क्या चाहिए उसकी किसमें ख़ुशी है पूरी जिंदगी हम खुद को किसी  दूसरे के चुने हुए जिंदगी में बिताने लगते हैं !फिर  दिन ऐसा आता है जब हम अपने उस डांसर दोस्त से मिलते है जो अपनी जिंदगी में बहुत खुश होता है वो खुद के जीवन से संतुष्ट होता है फिर हम अपनी जिंदगी से  उसके जिंदगी की तुलना करने लग जाते हैं  खुद पे अफ़सोस करते हैं कि काश खुद को एक मौका दे  दिया होता काश की घर वालों से जबरदस्ती करके आर्ट्स ले लिए होता तो आज में भी अपनी जिंदगी में खुश और संतुष्ट होता क्यों घरवालों के कहने से साइंस ली काश की जिंदगी के छोटे - छोटे फैसले भी कभी खुद लिए होते तो आज जो भी पैसे कमाता खुश होता! क्या फायदा ऐसी जिंदगी का जिसमें हम खुद ही खुश नहीं हैं कितना भी पैसा कमालें जब अंदर से  जिंदगी  में खुश नहीं हैं और दुनिया वालों के सामने ऊपर से सिर्फ खुश होने का दिखावा करके भी क्या कोई फायदा है !

इसलिए जिंदगी में वो करना चाहिए जिससे हम खुश रहे भूल जाओ कौन क्या सोचेगा कौन क्या बोलेगा, इसका तात्पर्य ये नहीं की किसी ने हमारी बात नहीं मानी तो उसको चोट दें लड़ाई करें ! हम अगर  अपने भीतर से खुश हैं , वो शांति  है तभी बहार के लोगों के साथ खुश रहेंगे और सबसे ज्यादा इससे संतुष्ट रहेंगे की हमनें  जिंदगी में   जो चाहा उसको किया ! कम पैसे कमाकर  और छोटे घर में रहकर अगर अपने जीवन से  संतुष्ट हैं तो वो मज़ा  कितने भी बड़े घर में रहकर  कितना भी कमा कर  वो ख़ुशी नहीं मिलती आपके अपने अंदर की  ख़ुशी और शांति सबसे बड़ी जीत है बाकी तो फिर जिंदगी ही बोझ है इसलिए खुद के लिए जियो !!











रविवार, 31 मई 2020

खुद को महत्त्व कैसे दें




अगर कभी कोई आपको महत्त्व ना दे तो क्या करें .........

 कितनी बार ये बातें  हमारे मन में चलती रहती है कि मैं इसको जितना महत्त्व अपनी जिंदगी में दे रहा हुँ मुझे उतना क्यों नहीं मिल रहा उससे यही सोच - सोच कर  परेशान रहते है , मन में नकारात्मक विचार आते रहते है , और कहीं भी मन नहीं लगता है हमारा..... लेकिन ऐसा क्यों .....क्यों हमारी ख़ुशी और गम दूसरों की मोहताज है , क्यों अपनी ख़ुशी या गम  के लिए हम दूसरों पर निर्भर रहते हैं ..... हमारी ख़ुशी हमारी अपनी है और हमारे भीतर के सारे  भाव हमारे अपने है इसके लिए दूसरों पर निर्भर करना छोड़ना पड़ेगा, हमें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए अगर कोई हमें महत्व नहीं दे। कभी नहीं सोचना चाहिए  में तो इसके लिए इतना करता हुँ  क्यों नहीं करता जब मैं उसको इतना महत्व देता हुँ तो वो क्यों नहीं देता छोड़नी पड़ेगी ऐसी सोच को .......

 ...... सबसे पहले हमें खुद को बेचारा बनाना छोड़ना होगा कौन हमें महत्त्व दे रहा हे और कौन नहीं दे रहा इससे ज्यादा फर्क पड़ता है की हम खुद की कितनी इज्जत करते हैं हम खुद को कितना महत्त्व देते हैं क्यूंकि जबतक हम खुद की  इज्जत नहीं करेंगें खुद को महत्त्व नहीं देंगे तबतक कोई दूसरा हमें महत्तव नहीं देगा ! अकेले बैठे रहने से खुद को परेशान करने से कुछ नहीं होने वाला ....... सबसे पहले खुद पे काम करना होगा सोचना पड़ेगा की खुद में कैसे प्रगति करे , कैसे अपने ज्ञान को बढ़ाए , अपने व्यक्तित्व में बदलाव लाएं , अपने अंदर आत्मविश्वास लाना होगा की अगर किसी काम को कोई और कर सकता है तो  मैं भी कर सकता हुँ। ..हमें अपनी क़ाबलियत बढ़ानी होगी। .... अंदर  की जज्बे को जगाना होगा की किसी के चाहने या न चाहने से कुछ नहीं होगा जबतक की में खुद नहीं चाहुँ हमारे अंदर क्या है खुद पे काम करना होगा वैसा बनना होगा। ...... कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए की कोई दूसरा हमारे लिए क्या सोचता है !
खुद के लिए हम जैसा सोचते हैं वैसा ही लोग हमारे लिए सोचते हैं और सच में हर कोई हमारे बारे में अच्छा नहीं सोच सकता हर कोई हमें महत्व नहीं दे सकता। ..... लेकिन अगर हमें किसी खास से महत्व भी चाहिए तो किसी  से  गिडगिडाने में कुछ नहीं मिलता सिर्फ भीख ही मिलती है ! इसलिए खुद को  दें अपनी जिंदगी में महत्व क्यूंकि आपकी अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा महत्व आप रखते हैं अपने लिए !!



           ऐ मुसाफिर क्यों किसी और के महत्व के लिए इतना तरसता है ,  
           जबकि तु  महत्त्व है , तु खुद में पूर्ण है अपने  लिए !!
           जो चाहेगा वही बनेगा अपनी  जिंदगी में ,
           जब तू स्वयं अपने   महत्व को समझ पाएगा !!


बुधवार, 6 मई 2020

शक (भाग - 1 )




ये क्या हो गया रात मुझे  ..... क्यूँ  झल्ला गई मैं ऐसा क्या मन में चल रहा था मेरे   इतनी छोटी सी बात पे इतना गुस्सा क्यों आ गया  बहुत पछतावा हो रहा है अपने बात करने के तरीके पे पिताजी को  कितना बुरा लगा होगा जिस लहजे में मैंने गुस्से से पिताजी से  बात की थी वो भी  तो सही नहीं था
...... सोचते - सोचते मन बहुत विचलित था  और रात के बारे में सोच रहा था , कि अभी बहुत तेज बारिश हुई , बिजली भी बहुत जोर से कड़क रही थी .... हवाओं  का रुख भी बहुत तेज और डरावना  था.... तेज हवाओं के कारण  घर के दरवाजे और खिड़कियों से आवाजें आ रही थी ..... मानो की तेज हवाओं के कारण दरवाजें और खिड़कियां टूट  जाएँगी इतने में मेरी  नींद खुली मैंने  समय देखा रात के 2:17  बज रहे थे , मैं अपने बिस्तर से उठी और मैंने घर की एक ही बिजली जलाई अगर ज्यादा बिजली जलती तो घर के दूसरे सदस्यों की नींद ख़राब हो सकती थी। ..... और जल्दी - जल्दी मैं  घर के दरवाजों और खिड़कियों को बंद करने लगी नहीं तो बारिश का पानी घर मैं  आ जाता और तेज हवाओं से दरवाजों और खिड़कियों के टूटने की आशंका थी ...... दरवाजों और खिड़कियों को बंद करने के बाद अचानक मेरा ध्यान बालकनी के सूखे कपड़ों पे गया जो बारिश में गीले हो रहे थे...... जल्दी - जल्दी उनको उतरने लगी  उन कपड़ों को बालकनी से लेते समय मैं भी भींग गई क्योकिं बारिश बहुत तेज थी और हवा भी बहुत भयावन थी .... जैसे ही अपने हाथों से कपड़ों को घर के कोने में रखे कुर्सी पे रखकर सोने  के लिए अपने कमरे की ओर मुड़ी वैसे ही एक चीखने और उत्तेजना भरे स्वर से घर के दूसरे कमरे से आवाज आयी " क्या कर रही है , बिजली क्यों जलाई है, क्यों इस समय जगी है ये कोई समय है बाहर  रहने का क्या तरीका अपनाया हुआ है !"  देखा तो पिताजी गुस्से से आंखे लाल करके खड़े होकर मुझे घूरते  हुए  गुस्से से चिल्ला थे.... उनके इस रवैये पर मुझे भी बहुत गुस्सा आया मैंने भी जोर से चिल्ला के जवाब में बोल दिया की  "क्या समय है मुझे भी पता है तेज हवा और बारिश थी कपड़े बाहर भींग रह थे उन्हें ही लेने गई थीं कोई परेशानी आपको"  और अपने दोनों पैरों को पटकते हुए अपने कमरे  में जाने लगी अपनी तिरछी निगाहों से मैनें पिताजी की आँखों को देखा जिसमें मेरे जवाबों से वो कुछ संतुष्ट दिखाई दिए और मेरे बोलने के लहजों से गुस्से भी लेकिन वो चुपचाप फिर अपने  कमरे में सोने चले गए और में अपने कमरे में ! अपने बिस्तर पे लेटे - लेटे काफी समय हो गया लेकिन नींद गायब हो चुकी थी मन बार - बार यही सोच रहा था की ऐसा क्या चल रहा होगा पिताजी के मन में जो वो इतनी बुरी तरह से मेरे ऊपर चिल्लाए.... क्या उनको मुझपे कोई शक था की मैं  कुछ गलत करने जा रही हुँ क्या उनको मेरे चरित्र पे कोई शंका थी वैसे गुस्सा मुझे खुद पे भी आ रहा था की मुझे उन्हें उस तरीके से जवाब नहीं देना चाहिए था फिर भी मन बहोत बेचैन था की काश मैं बस थोडा शांत रहती तो सही होता क्या जरुरत थी मुझे उनपर उस तरीके से बोलने की लेकिन अब पछताय होत  क्या जब चिड़िया चुग गई खेत !
कुछ भी होअब से इस बात का ध्यान रखूंगी की इस तरीके से मैं अपने पिता को जवाब नहीं दूंगी ! खैर ये तो मेरे मन में पछतावा था लेकिन इससे ज्यादा तकलीफ़  इस बात की थी की आखिर पिताजी ने मुझसे वैसे बात क्यों की कितने समय के बाद तो उन्होंने मुझसे कुछ बोला था थोड़ा प्यार से ही पूछ लेते की बीटा  क्या हुआ बिजली क्यों जलाई है रात ज्यादा हो गई है अभी तक तुम यही हो उनका ऐसा स्नेह भरा बोल सुनके मेरे भी जवाब कुछ और होते और उसके बाद मुझे आदेश देते की जाओ जाके सो जाओ ! रात हो चुकी है मैं भी बहुत खुश होती क्योँकि मुझे पता होता की उनके इस प्रकार के आदेश में भी स्नेह भरा है !

मैं भूल जाती की पिताजी ने मुझे बाहर जाने से मना किया है मैं किसी अजनबी के सामने भी घर में नहीं आ सकती और अगर वो कोई पुरुष है तो पिताजी की सख्त पाबन्दी है की मैं नहीं मिल सकती यहाँ तक की शाम होते ही मैं छत पर भी नहीं रह सकती थी सूर्यअस्त के साथ मेरे भी उस दिन की अस्ति हो जाती थी बस इतनी इजाजत थी कि अगर कोई रिस्तेदार आ गए तो वहां उनके समीप बैठ सकती थी वैसे मेरा मन नहीं करता था किसी भी रिस्तेदारों के पास बैठने का जैसे मैं कोई बैटरी से चलने वाली गुड़िया या खिलौना हूँ वैसे ही शायद मैं बन रही थी लेकिन मैं पहले वाली अपनी ज़िंदगी जीना चाहती थी। ....... यही सोचते - सोचते मैं कब अपने अतीत मैं चली गई पता ही नहीं चला। .......


                                                                                                                                              (क्रमशः )





शनिवार, 11 अप्रैल 2020

हमारे अपने रिश्ते


हमारे अपने रिश्ते 

क्या जो रिश्ते खून के होते है…….. क्या बस वही अपने होते हैं कई बार ऐसा सुना है लोगों से उनके साथ मेरा खून का रिश्ता है तो क्या वही मेरा अपना है, क्या हमेशा  मेरे खून के रिश्ते ही मेरा साथ देंगे  जिनको भगवान ने मेरे भाग्य में खून के रिश्ते के रूप में भेज दिए है वही मेरा साथ देंगे, वही मेरे मेरे सुख और दुःख को समझेंगे !

तो फिर उन रिश्तों का क्या जो यहाँ पे हमसे  जुड़े हैं, जिन्हे हमने  अपना माना है , जो रिश्ते हमारी खुशियों  का ध्यान रखते हैं जो हमें  खुश रखते हैं, वो रिश्ते जो हर परिस्थिति में हमारे  साथ खड़े रहते हैं, हमें  सँभालते हैं भले ही खून के रिश्तों के जैसे पास हो लेकिन फिर भी हमेशा हमारे  साथ रहते हैं ! बिना कुछ चाहे  वो  हमारी  परवाह  करते  हैं हम उनकी  परवाह  करते  है  ! हम कितनी  बार  लोगों  के  कहे  सुने  या  बहकावे  में    जाते  हे  और  अपने लोगों  से  दूरियां  बनाने  लग  जाते  हैं  हमें अपनी  आपसी  समझ  को  बढ़ाना  होगा  अगर  कोई  बात  बुरी  लगती  हे  तो  बात  करनी  चाहिए  आपसी  मतभेदों  को  मिटाना  चाहिए कितनी  बार  ऐसा  होता  हे  की  हम  तकलीफ  में  होते  हैं  इससे  फर्क  सिर्फ  उसको  पड़ता  हे  जो  जिनके  लिए  आप  अहमियत  रखते  हो  बाकियों  को  कोई  फर्क  नहीं  पड़ता  ऐसा  नहीं  हे  की  जो  लोग  हमारा  अपने  स्वार्थ   के  लिए  उपयोग  करते  हैं  हमें  उनसे  लड़ाई  करनी  चाहिए  या  फिर  उनको  छोड़  देना  किये  बस  हमें  पता  होना  चाहिए  की  किस  रिश्ते  की  हमारे  जीवन  में  कितनी  हम्मीयत  हे  और  हमें  किसकी  बातों  पर ध्यान देना  चाहिए  और  किनकी  बातों  को  नज़रअंदाज़  करना  चाहिए हमें  अपनी  ज़िंदगी  में  सही  निर्णय  लेना  आना  चाहिए   और  छोटी - छोटी  बातों  के  लिए  तो  अपने  रिश्तों  को  नहीं  खोना चाहिए ! जिंदगी को ख़ुशी - ख़ुशी चलाने के लिए हमें ऐसे लोगों के साथ रहना चहिहै जो हमें अहमियत दें और हमें समझे भले ही वो खून के रिश्ते हों या ना हों !! 

हमारे अपने रिश्ते, our relationship, hamare rishte




ज़िंदगी में खून के रिश्तों को हिस्सेदारी के लिए आपस में लड़ते देखा है
कितनी बार छल कपट से दूसरे भाइयों का धन हरपते देखा है
क्यों लोग खून के रिश्तों को इतनी अहमियत देतें हैं ????
दोस्तों क्या अभी तक आपने
महाभारत की लड़ाई को नहीं देखा है !!






  आज हम बात करेंगे पीढ़ी के अंतर के बारे में। हम सबने इसे महसूस किया है—जब हमारे माता-पिता या दादा-दादी हमारी पसंद-नापसंद को समझ नहीं पाते, ...